(कलियुग में मोक्ष प्राप्ति का सरल मार्ग)
📜 ऋषियों का प्रश्न – कलियुग में भक्ति कैसे प्राप्त हो?
एक समय की बात है, नैमिषारण्य तीर्थ में शौनिकादि अठ्ठासी हजार ऋषियों ने श्री सूतजी से प्रश्न किया—
हे प्रभु!
इस कलियुग में वेद-विद्या से रहित मनुष्यों को प्रभु-भक्ति किस प्रकार प्राप्त हो सकती है?
उनका उद्धार कैसे होगा?
हे मुनिश्रेष्ठ!
कोई ऐसा तप बताइए जिससे थोड़े समय में ही पुण्य की प्राप्ति हो तथा मनवांछित फल भी मिल जाए।
हम सभी ऐसी ही किसी दिव्य कथा को सुनने की इच्छा रखते हैं।
📖 सूतजी का उत्तर – एक दिव्य व्रत का वर्णन
सर्वशास्त्रों के ज्ञाता श्री सूतजी बोले—
हे वैष्णवों में पूज्य ऋषिगण!
आप लोगों ने प्राणियों के कल्याण की बात पूछी है।
इसलिए मैं आपको एक ऐसे श्रेष्ठ व्रत का वर्णन करूँगा, जिसे स्वयं देवर्षि नारद ने भगवान लक्ष्मीपति नारायण से पूछा था और भगवान ने प्रेमपूर्वक उन्हें बताया था।
आप सभी इसे ध्यानपूर्वक सुनिए।
🌍 देवर्षि नारद का मृत्युलोक भ्रमण
एक समय की बात है, योगीराज देवर्षि नारद लोक-कल्याण की भावना से प्रेरित होकर अनेक लोकों में भ्रमण करते हुए मृत्युलोक में आए।
यहाँ उन्होंने देखा कि अनेक योनियों में जन्मे मनुष्य अपने ही कर्मों के कारण विभिन्न प्रकार के दुखों से पीड़ित हैं।
यह दृश्य देखकर नारद मुनि अत्यंत व्याकुल हो उठे और सोचने लगे—
ऐसा कौन-सा उपाय हो सकता है, जिससे मनुष्य के दुखों का निश्चित रूप से अंत हो जाए?
🛕 नारद मुनि का विष्णुलोक गमन
इसी विचार में लीन होकर देवर्षि नारद विष्णुलोक पहुँचे।
वहाँ उन्होंने शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए, गले में वनमाला सुशोभित भगवान नारायण की स्तुति आरंभ की।
🙏 देवर्षि नारद की स्तुति
नारद जी बोले—
हे भगवान!
आप अत्यंत शक्ति से संपन्न हैं।
मन और वाणी भी आपके स्वरूप को नहीं पा सकते।
आपका न आदि है, न मध्य, न अंत।
आप निर्गुण स्वरूप होकर भी सृष्टि के कारण हैं और अपने भक्तों के दुखों को दूर करने वाले हैं।
आपको मेरा कोटि-कोटि नमस्कार है।
💬 भगवान विष्णु का प्रश्न
नारद जी की स्तुति सुनकर भगवान विष्णु बोले—
हे मुनिश्रेष्ठ!
आप किस उद्देश्य से यहाँ पधारे हैं?
अपने मन की बात नि:संकोच कहिए।
🕊️ नारद मुनि की करुण प्रार्थना
इस पर नारद मुनि बोले—
हे नाथ!
मृत्युलोक में मनुष्य अपने कर्मों के कारण अनेक दुखों से पीड़ित हैं।
यदि आप मुझ पर कृपा करें, तो कृपया बताइए कि मनुष्य थोड़े से प्रयास से अपने दुखों से कैसे मुक्त हो सकता है।
🌼 भगवान श्रीहरि का दिव्य उपदेश
श्रीहरि बोले—
हे नारद!
मनुष्यों के कल्याण हेतु तुमने अत्यंत उत्तम प्रश्न किया है।
जिस व्रत को करने से मनुष्य मोह से मुक्त होकर सुख और मोक्ष दोनों प्राप्त करता है, वह मैं तुमसे कहता हूँ।
स्वर्गलोक और मृत्युलोक—दोनों में एक अत्यंत दुर्लभ और पुण्यदायक व्रत है।
आज प्रेमवश मैं वह व्रत तुम्हें बताता हूँ।
श्री सत्यनारायण भगवान का व्रत
यदि विधि-विधानपूर्वक किया जाए, तो मनुष्य इस लोक में सुख भोगकर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है।
❓ नारद जी का प्रश्न – व्रत का फल और विधान
भगवान के वचन सुनकर नारद जी बोले—
हे प्रभु!
इस व्रत का फल क्या है?
इसका विधान क्या है?
इस व्रत को किसने किया था और किस दिन करना चाहिए?
कृपया सब कुछ विस्तार से बताइए।
🪔 श्री सत्यनारायण व्रत की विधि
भगवान विष्णु बोले—
यह व्रत दुख और शोक को नष्ट करने वाला तथा सभी स्थानों पर विजय दिलाने वाला है।
मनुष्य को श्रद्धा और भक्ति के साथ संध्या समय श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा करनी चाहिए।
ब्राह्मणों और बंधु-बांधवों के साथ मिलकर—
- केले का फल
- घी
- दूध
- गेहूँ का आटा (या साठी का आटा)
- शक्कर और गुड़
इन सबको मिलाकर भगवान को नैवेद्य अर्पित करना चाहिए।
🍽️ व्रत पूर्णता और फल प्राप्ति
पूजा के पश्चात—
पहले ब्राह्मणों और बंधु-बांधवों को भोजन कराएँ,
फिर स्वयं भोजन करें।
भजन, कीर्तन और भगवान के नाम-स्मरण में लीन हो जाएँ।
इस प्रकार विधिपूर्वक श्री सत्यनारायण भगवान का व्रत करने से मनुष्य की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
🌸 कलियुग में मोक्ष का सरल उपाय
भगवान बोले—
इस कलियुग में मृत्युलोक में मोक्ष प्राप्त करने का यह व्रत ही सबसे सरल और प्रभावशाली उपाय है।
📿 प्रथम अध्याय की समाप्ति
॥ इति श्री सत्यनारायण व्रत कथा का प्रथम अध्याय संपूर्ण ॥
अगले अध्याय पढ़ें
श्री सत्यनारायण व्रत कथा – द्वितीय अध्याय Shree Satyanarayan Vrat Katha
श्री सत्यनारायण व्रत कथा – तृतीय अध्याय Shree Satyanarayan Vrat Katha
श्री सत्यनारायण व्रत कथा – चतुर्थ अध्याय Shree Satyanarayan Vrat Katha
श्री सत्यनारायण व्रत कथा – पंचम अध्याय Shree Satyanarayan Vrat Katha
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