भारत देश में धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहारों का विशेष महत्व है। यहां पर जो भी त्योहार मनाया जाता है वह एक विशेष देवी देवताओं की पूजा के लिए आयोजित किया जाता है। भगवान के आशीर्वाद से लोग उनके कृपा और सुख समृद्धि प्राप्त करते हैं। इसी तरह “𝐜𝐡𝐡𝐚𝐭𝐡 𝐩𝐮𝐣𝐚” भी इन्हीं विशेषताओं में से एक है जो भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
छठ पूजा का त्योहार भगवान सूर्य की उपासना के लिए मनाया जाता है और उसे छठी माता का त्योहार भी कहा जाता है। छठ पूजा में विशेष प्रकार के भोजन-प्रसाद, व्रत और पूजा आराधना करते हैं। उस दिन तालाब या नदी के किनारे छठी मैया की पूजा की जाती है तथा सूर्योदय का दर्शन किया जाता है।
भारत के हर कोने में छठ पूजा का त्यौहार मनाया जाता है लेकिन छठ पूजा का पर्व विशेष रूप से बिहार में ज्यादा मनाया जाता है। यह पर्व भारत में कार्तिक मास में मनाया जाता है। तो आज इस ब्लॉग में “𝐜𝐡𝐡𝐚𝐭𝐡 𝐤𝐲𝐮 𝐦𝐚𝐧𝐚𝐲𝐚 𝐣𝐚𝐭𝐚 𝐡𝐚𝐢” के बारे में बताएंगे तथा छठ पर्व मनाने के इतिहास, छठ पूजा विधि और “𝐜𝐡𝐡𝐚𝐭𝐡 𝐩𝐮𝐣𝐚 𝟐𝟎𝟐𝟑” में कब है आदि के बारे में भी जानकारी देंगे।
- छठ पूजा का त्योहार क्या है :- छठ पूजा का त्यौहार जो बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि के साथ भारत के कई राज्यों में यह पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर सूर्य देवता की पूजा और “𝐜𝐡𝐡𝐚𝐭𝐡𝐢 𝐦𝐚𝐢𝐲𝐚” की पूजा की जाती है। छठ पूजा का अर्थ होता है षष्ठी के दिन पूजा। इस दिन लोग नदी किनारे या घाटों के पास जा कर पूजा करते हैं।
इस दिन डूबते हुए सूर्य तथा अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और उपासना की जाती है। इस दिन गुड़ की खीर, घी की रोटी, चावल और कद्दू से बने भोजन, “𝐭𝐡𝐞𝐤𝐮𝐚” और कद्दू का हलवा बनाया जाता है। इन सबको प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
छठ पूजा का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी के दिन मनाया जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार छठी मैया सूर्य देव की बहन है। हिंदू मान्यता के अनुसार यह त्योहार संतान प्राप्ति, सुख-समृद्धि, लंबी आयु आदि के लिए मनाया जाता है। छठ पूजा के पर्व पर 4 दिनों तक पूजा-अर्चना की जाती है और “𝐜𝐡𝐡𝐚𝐭𝐡 𝐩𝐮𝐣𝐚 𝐤𝐞 𝐠𝐞𝐞𝐭” भी गाए जाते है।
- छठ पूजा क्यों मनाया जाता है :- छठ पूजा का त्योहार मनाने के पीछे कई कारण हैं। हिन्दू पौराणिक कथाओं में “𝐜𝐡𝐡𝐚𝐭𝐡 𝐩𝐮𝐣𝐚 𝐤𝐚 𝐢𝐭𝐢𝐡𝐚𝐬” है। उसी के आधार पर हम आपको छठ पूजा क्यों मनाई जाती है इसके बारे में विस्तार से बताएंगे :
- हिंदू महाकाव्य “𝐦𝐚𝐡𝐚𝐛𝐡𝐚𝐫𝐚𝐭” में कहा गया है कि कर्ण भगवान सूर्य के पुत्र है। कर्ण सूर्य देव की हमेशा पूजा आराधना करते थे। माना जाता है कि सबसे पहले “𝐬𝐮𝐫𝐲𝐚𝐩𝐮𝐭𝐫𝐚 𝐤𝐚𝐫𝐧” ने ही भगवान सूर्य की उपासना करना शुरू किया था और हर दिन स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पण करते थे। तब से छठ पूजा के दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है।
- पौराणिक कथाओं तथा “𝐡𝐢𝐧𝐝𝐮 𝐬𝐡𝐚𝐬𝐭𝐫𝐚” में कहा गया है कि जब श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था और माता सीता को मुक्त कराया। तब वह अयोध्या वापस लौटने के लिए तैयार हो गए। वहां पर जाकर भगवान “𝐬𝐡𝐫𝐢𝐫𝐚𝐦” और “𝐦𝐚𝐭𝐚 𝐬𝐢𝐭𝐚” ने अपना राज्य स्थापित करने से पहले छठ का उपवास रखा था और सूर्य देव की उपासना की थी। तब से छठ पूजा का व्रत किया जाता है।
- एक कथा के अनुसार यह बताया गया है कि राजा प्रियवंद के कोई संतान नहीं थी। इसके कारण राजा और उनकी पत्नी हमेशा परेशान रहते थे। इस समस्या का समाधान करने के लिए राजा प्रियवंद जाने-माने महर्षि कश्यप के पास गए। “𝐦𝐚𝐡𝐚𝐫𝐢𝐬𝐡𝐢 𝐤𝐚𝐬𝐡𝐲𝐚𝐩” ने इसके लिए यज्ञ करने का कहा। यज्ञ में जो खीर बनाई गई थी, उस खीर को राजा की पत्नी को खिलाया गया।
इसके बाद राजा के यहां पुत्र का जन्म हुआ लेकिन राजा का पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ था। यह देखकर ब्रह्मा की पुत्री देवसेना ने राजा से कहां की हे राजन ! मैं संसार के छठे अंश से प्राप्त हुई हूं, इसलिए मेरा नाम षष्ठी है। अगर तुम मेरी पूजा करो और लोगों को भी ऐसा करने के लिए कहो तो आपके यहां संतान प्राप्ति होगी। राजा ने पूजा पाठ किया तथा उसके बाद राजा के यहां पुत्र का जन्म हुआ।
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- छठ पूजा के त्योहार के बारे में एक कथा यह भी प्रचलित है कि जब “𝐩𝐚𝐧𝐜𝐡 𝐩𝐚𝐧𝐝𝐚𝐯” चौपड़ में अपना सारा राज्य हार गए थे, तब द्रौपदी ने राजपाठ वापस पाने के लिए छठ का व्रत रखा था। इसी के साथ उन्होंने भगवान सूर्य की आराधना भी की थी और जल भी अर्पण करती थी। इसके बाद “𝐝𝐫𝐚𝐮𝐩𝐚𝐝𝐢” की इच्छा पूर्ण हुई और पांडवों को अपना राज्य और शासन वापस मिल गया। तब से छठ पूजा के साथ सूर्य देव की उपासना की जाती है। अब आपको “𝐜𝐡𝐡𝐚𝐭𝐡 𝐤𝐲𝐮 𝐦𝐚𝐧𝐚𝐲𝐚 𝐣𝐚𝐭𝐚 𝐡𝐚𝐢” इसका उत्तर मिल गया होगा।
- छठ पूजा का त्योहार कैसे मनाया जाता है :- छठ पूजा के त्योहार को 4 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन करना, तीसरे दिन सूर्यास्त के समय और चौथे दिन सूर्योदय के समय “𝐬𝐮𝐫𝐲𝐚 𝐝𝐞𝐯” को जल अर्पण करना होता है।
प्रसाद के रूप में लोग कोई फल, खीर, कद्दू से बने भोजन और अन्य खाद्य वस्तुएं बनाई जाती है लेकिन सबसे मुख्य प्रसाद ठेकुआ यानी खजूर काम प्रसाद बनाया जाता है।
- सबसे पहला दिन नहाय-खाय का दिन होता है। इसलिए सभी लोग अपने आसपास के तालाब या नदियों में स्नान करते हैं। इसके बाद चावल और कद्दू से बने व्यंजन तैयार किए जाते है। परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। यह दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का दिन होता है।
- फिर दूसरा दिन खरना का दिन आता है। इस दिन को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी होती है। इस दिन व्रत करने वाले पूरे दिन “𝐧𝐢𝐫𝐣𝐚𝐥𝐚 𝐯𝐫𝐚𝐭” करते है यानी ना तो अन्न और ना ही जल ग्रहण किया जाता है। शाम होते ही लोग अपने घरों में गुड़ की खीर बनाते है। पूजा और आरती करने के बाद इसे खाया जाता है। इस तरह दूसरा दिन भी बीत जाता है।
- फिर षष्ठी के दिन शाम को सूर्यास्त के समय भगवान सूर्य को जल अर्पण करते है तथा इस दिन सबसे प्रमुख प्रसाद ठेकुआ बनाया जाता है। इस प्रसाद की पूजा की जाती है। इसके बाद सभी लोग पास के तालाब या नदी में जाकर नहाते है और सूर्य को अर्घ्य देते है और “𝐜𝐡𝐡𝐚𝐭𝐡 𝐩𝐮𝐣𝐚 𝐤𝐢 𝐤𝐚𝐡𝐚𝐧𝐢” सुनाई जाती है।
- जब अंतिम दिन जो सप्तमी का होता है, उस दिन लोग सुबह सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। सभी अपने दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करते है। फिर भगवान सूर्य की पूजा हो जाने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। इस तरह से धूमधाम से यह त्योहार संपन्न होता है।
- छठ पूजा का महत्व :- जिस तरह हर पर्व का कोई न कोई महत्व है, उसी तरह छठ पूजा का भी विशेष महत्व है। इस त्योहार को गहरी आस्था, श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है, इसी लिए इसे महापर्व भी कहा जाता है।
छठ पूजा के त्योहार में घर-घर में साफ-सफाई और सजावट की जाती है। यह त्योहार बिहार में ज्यादा प्रसिद्द है आप सोच रहे होंगे कि “𝐛𝐢𝐡𝐚𝐫 𝐦𝐞 𝐜𝐡𝐡𝐚𝐭𝐡 𝐩𝐮𝐣𝐚 𝐤𝐲𝐮 𝐦𝐚𝐧𝐚𝐲𝐚 𝐣𝐚𝐭𝐚 𝐡𝐚𝐢” क्योंकि माता सीता ने सबसे पहले बिहार में गंगा नदी के तट पर छठ पूजा की थी, इसीलिए बिहार से छठ पूजा का प्रचलन शुरू हुआ और उसी समय से आज तक बिहार में छठ पूजा के पर्व को बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
छठ पूजा के पर्व पर किसी भी हिंदू घर में मांस का सेवन नहीं होता है। लहसुन और प्याज को भी नहीं खाते है। छठ का व्रत करने से घर-परिवार में सुख-शांति और खुशी का माहौल बना रहता है। इस व्रत को संतान प्राप्ति भी होती है तथा हर व्यक्ति को दीर्घायु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
- इस वर्ष छठ पूजा कब है :- आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि इस साल “𝐜𝐡𝐡𝐚𝐭𝐡 𝐩𝐮𝐣𝐚 𝐤𝐚𝐛 𝐡𝐚𝐢” तो आपके बता दे को छठ पूजा का पर्व इस वर्ष 17 नवंबर 2023 से लेकर 20 नवंबर 2023 तक मनाया जाएगा। यह त्योहार चार दिनों का होता है और चारों दिन लोग बड़े उत्साह से इस मौके का आनंद लेते है।
निष्कर्ष :-
छठ पूजा का अपना एक विशेष महत्व है। छठ पूजा में पूरी श्रद्धा के साथ भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा-आराधना की जाती है। यह मानव जीवन के लिए स्वास्थ्य, सुख, लंबी आयु आदि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हर जगह छठ पूजा की कहानी कही जाती है।
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