नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आपके मनपसंद सनातन साहित्य की वेबसाइट भक्ति ओसियन में। आज हम आपको बताएंगे चार युगों के बारे में। आज के इस आर्टिकल में आप जानेंगे की सनातन संस्कृति के अनुसार वह चार युग कौन से हैं जिनका वर्णन प्राचीन वेद पुराणों में पढ़ने को मिलता है।
तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं उन चार युगों के बारे में जिनका महत्व हर मनुष्य को पता होना चाहिए। इस आर्टिकल पर आगे बढ़ने से पहले हम आपसे निवेदन करते हैं कि कृपया हमारे यूट्यूब चैनल को जरूर सब्सक्राइब कर ले क्योंकि Bhakti Ocean के यूट्यूब चैनल पर आपको बहुत ही अच्छे भजन, वैदिक मंत्र, चालीसा, आरती इत्यादि सुनने को मिलेंगे।
चार युग के नाम Yug Kitne Hote Hain
युग शब्द का मतलब है वर्षों की एक निश्चित संख्या अर्थात कालखंड। सनातन के प्राचीन ग्रंथो में जिन चार युगों का वर्णन किया गया है वह चार युग इस प्रकार है। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग। चलिए अब हम इन चारों युगों के बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। हम आपको यह भी बताएंगे कि हर युग में व्यक्ति का जीवन, उम्र, ऊंचाई कितनी होती थी और उस युग की अन्य विशेषताएं क्या थी।
1.सतयुग:
सबसे पहला युग सतयुग था। इस युग में 100% मनुष्य पुण्य कर्मों में लीन थे अर्थात कोई भी मनुष्य पाप नहीं करता था। सतयुग में ईश्वर ने कुल चार अवतार लिए थे और इन अवतारों के नाम क्रमशः मत्स्य,हयग्रीव,कूर्म,वराह और नृसिंह है। सतयुग की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं।
सतयुग का कुल समय | 4800 दिव्य वर्ष अर्थात आज के हिसाब से 1728000 मानव वर्ष |
पाप | 0 % अर्थात कोई भी मनुष्य पाप नहीं करता था |
पुण्य | 100% अर्थात हर कोई पुण्य कर्मों में लीन था |
औसतन आयु सीमा | लगभग 100000 वर्ष |
औसतन ऊचाई | 21 हाथ यानि करीबन 100 से 150 फुट के बीच |
सतयुग के अवतार | मत्स्य,हयग्रीव,कूर्म,वराह,नृसिंह |
कुल वर्ण | 4 चार |
तीर्थ | पुष्कर |
द्रव्य | रत्नमय |
चरण | 4 (1200 दिव्य वर्ष x 4) |
2.त्रेतायुग:
चार युगों में दूसरे स्थान पर आता है त्रेता युग। त्रेता युग एक ऐसा युग था जब ईश्वर ने इस धरती पर तीन बार अवतार लिया था। यह तीन अवतार क्रमशः वामन, परशुराम और श्री राम अवतार है। इस युग में ज्यादातर मनुष्य पुण्य कर्मों में लीन थे सिर्फ एक चौथाई मनुष्य यानी की 25% मनुष्य पाप कर्म करते थे बाकी 75% मनुष्य पुण्य कर्मों में लीन थे। त्रेता युग की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं।
त्रेतायुग का कुल समय | 3600 दिव्य वर्ष अर्थात आज के हिसाब से 1296000 मानव वर्ष |
पाप | 25 % मनुष्य पाप करते थे |
पुण्य | 75% मनुष्य पुण्य कर्मों में लीन थे |
औसतन आयु सीमा | लगभग 10000 वर्ष |
औसतन ऊचाई | 14 हाथ यानि करीबन 70 से 90 फुट के बीच |
त्रेतायुग के अवतार | वामन,परशुराम,श्रीराम |
कुल वर्ण | 4 चार |
तीर्थ | नैमिषारण्य |
द्रव्य | स्वर्ण |
चरण | 3 (1200 दिव्य वर्ष x 3) |
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3. द्वापर युग:
चार युगों में तीसरे स्थान पर आता है द्वापर युग। यह वह युग था जब ईश्वर ने भगवान श्री कृष्ण के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया था और अपनी लीलाओं से कई सारे राक्षसों का वध किया था। साथ ही साथ महाभारत के युद्ध में कौरवो पर पांडवों की विजय भी इसी युग के दौरान हुई थी। भगवान श्री कृष्ण के मृत्यु के पश्चात द्वापर युग समाप्त हो गया था। द्वापर युग की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं।
द्वापर युग का कुल समय | 2400 दिव्य वर्ष अर्थात आज के हिसाब से 864000 मानव वर्ष |
पाप | 50 % मनुष्य पाप करते थे |
पुण्य | 50 % मनुष्य पुण्य कर्मों में लीन थे |
औसतन आयु सीमा | लगभग 1000 वर्ष |
औसतन ऊचाई | 7 हाथ यानि करीबन 40 से 50 फुट के बीच |
द्वापर युग के अवतार | श्रीकृष्ण |
कुल वर्ण | 4 चार |
तीर्थ | कुरुक्षेत्र |
द्रव्य | चांदी |
चरण | 3 (1200 दिव्य वर्ष x 3) |
4. कलयुग:
चार युगों में कलयुग सबसे आखरी युग है और ऐसी मान्यता है कि इस युग में मनुष्य पाप कर्मों में लिप्त होगा और उसकी धर्म में रुचि कम हो जाएगी। मनुष्य ईश्वर को याद करना भी भूल जाएगा किंतु कुछ मनुष्यों को फिर भी ईश्वर का स्मरण रहेगा और वह पुण्य कर्म करते रहेंगे। कलयुग के पाप कर्मों से मानव जाति को मुक्त करने के लिए कलयुग के अंत में भगवान कल्कि का अवतार होगा और इसी के साथ कलयुग का अंत हो जाएगा। कलयुग की अन्य विशेषताएं इस प्रकार हैं।
कलयुग का कुल समय | 1200 दिव्य वर्ष अर्थात आज के हिसाब से 432000 मानव वर्ष |
पाप | 75 % मनुष्य पाप करते हैं |
पुण्य | 25 % मनुष्य पुण्य कर्म करते हैं |
औसतन आयु सीमा | कलयुग के प्रारंभ में 1000 वर्ष और अंत में 20 वर्ष |
औसतन ऊचाई | 3.5 हाथ यानि करीबन 4 से 7 फुट के बीच |
कलयुग के अवतार | कल्कि |
कुल वर्ण | 4 चार |
तीर्थ | कुरुक्षेत्र |
द्रव्य | चांदी |
चरण | 3 (1200 दिव्य वर्ष x 3) |
सारांश:
हमने अपने इस आर्टिकल में आपको चार युगों के बारे में बताया। साथ ही साथ हमने चार युगों के दौरान मनुष्यों का स्वभाव, उम्र, ऊंचाई और उनके किए द्वारा किए जाने वाले पुण्य और पाप कर्मों के बारे में भी बताया। हमें उम्मीद है कि इस जानकारी से आपको फायदा हुआ होगा।
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FAQ: अन्य सामान्य प्रश्न:
सवाल: 1 युग कितने वर्ष का होता है?
जवाब: चारों युगों की अलग अलग अवधी है। सनातन मान्यताओं में सतयुग करीबन 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है।
सवाल: कलयुग कितने वर्ष का होता है?
जवाब: सनातन मान्यताओं के अनुसार कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का होगा।
सवाल: कितने युग होते हैं?
जवाब: कुल 4 युग होते हैं और उनके नाम हैं सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग।
सवाल: कलयुग के बाद कौन सा युग आएगा?
जवाब: कलयुग के बाद पुनः सतयुग आएगा।