Konark Sun Temple

Konark Sun Temple कोणार्क सूर्य मंदिर कहां स्थित है

इस आर्टिकल में आप जानेंगे की Konark Sun Temple Kahan Sthit Hai सूर्य मंदिर कहां स्थित है। जानिए एक ऐसे रहस्यमयी मंदिर के बारे में जिसके बारे में ऐसी मान्यता थी की ये मंदिर समुद्री मार्ग से आने जाने वाले पानी के जहाजों को अपनी तरफ खींच लेता था और उन्हें नष्ट कर डालता था। कोणार्क सूर्य मंदिर अपने रहस्यों के लिए सदियों तक चर्चा का विषय बना रहा है और आज भी देश विदेश से यहाँ आने वाले पर्यटक इन रहस्यों को जानने की कोशिश में लगे रहते हैं।

कोणार्क सूर्य मंदिर अपने आकर्षक डिज़ाइन, उच्च स्तरीय शिल्प कला और बेहतरीन नक्काशी की वजह से पुरे विश्व में अनूठा मंदिर है। इस मंदिर की सुंदरता आज भी देखते ही बनती है। ऐसा लगता है जैसे इस मंदिर को बनाने वाले कारीगरों ने इसे बड़े ही प्यार और लगन से बनाया होगा।

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Konark Sun Temple कोणार्क सूर्य मंदिर | Surya Mandir Kahan Sthit Hai

शिल्पकला की बेहतर मिसाल प्रस्तुत करता यह मंदिर उड़ीसा के पूरी के उत्तर पूर्वी किनारे पर समुद्र तट के पास बना हुआ है। कोणार्क सूर्य मंदिर को सन् 1949 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की मान्यता मिली हुई है।

How To Reach Konark Sun Temple | नजदीकी रेलवे स्टेशन कौन सा है

पुरी रेलवे स्टेशन कोणार्क सूर्य मंदिर से सबसे करीबी रेलवे स्टेशन है। आप भुवनेश्वर से पूरी ट्रेन के द्वारा सफर कर सकते हैं उसके बाद पूरी से आप टैक्सी की सवारी करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

Nearby Airport नजदीकी हवाई अड्डा कौन सा है

भुवनेश्वर और बीजू पटनायक हवाई अड्डे कोणार्क सूर्य मंदिर से सबसे करीबी एयरपोर्ट है। इनकी दूरी मंदिर से करीबन 65 किलोमीटर है। एयरपोर्ट से कोणार्क सूर्य मंदिर जाने के लिए आप टैक्सी ले सकते हैं।

Konark Sun Temple Timings

कोणार्क सूर्य मंदिर सुबह 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है।

Konark Sun Temple Ticket Price टिकट की कीमत

कोणार्क सूर्य मंदिर में टिकट की कीमत भारतीयों के लिए 40 रूपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 600 रूपये रखी गयी है। आप चाहें तो ऑनलाइन टिकट बुकिंग भी कर सकते हैं या फिर आप मंदिर के काउंटर पर भी टिकट ले सकते हैं।

Facts About Konark Sun Temple

  • कोणार्क सूर्य मंदिर अपने मूर्तिकला और भव्यता के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है
  • यह मंदिर कलिंग वास्तुकला का एक सर्वोच्च उदाहरण है
  • 1984 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की मान्यता प्राप्त हुई थी
  • सूर्य मंदिर में दोनों तरफ १२ पहियों की दो कतारें हैं ऐसा मानना है कि यह २४ पहिए दिन के २४ घंटे के प्रतीक हैं लेकिन कुछ अन्य लोगों के अनुसार यह १२-१२ घोड़ों की दो कतारें १२ महीनों के प्रतीक है
  • ७ घोड़े सप्ताह के सात दिन को दर्शाते हैं
  • समुद्री मार्ग से सफर करने वाले इस मंदिर को ब्लैक पगोडा कहके पुकारते थे वो ऐसा मानते थे की ये मंदिर समुद्री जहाजों को अपनी तरफ खींच लेता है और पूरी तरह नष्ट कर देता है
  • कोणार्क सूर्य मंदिर दंग वंश के वैभव शक्ति कला प्रेम और धार्मिक प्रेम का प्रतीक है
  • इस मंदिर का निर्माण महाराजा नरसिंह द्वारा तेरहवीं शताब्दी अर्थात 1238 से 1264 ईसवी के बीच में किया गया था

Konark Sun Temple Built By कोणार्क का सूर्य मंदिर किसने बनवाया

कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण पूर्वी गंगा साम्राज्य के राजा नरसिंह देव जी ने 1250 CE में किया था। कोणार्क सूर्य मंदिर एक बहुत बड़े रथ के आकार में बनाया गया है और इसमें बेशकीमती धातुओं के पहिए, दीवारें और खंभे बने हुए हैं। इस खूबसूरत मंदिर की कल्पना भगवान सूर्य देव के रथ के रूप में की गई है और यह मंदिर भगवान सूर्य देव को ही समर्पित है। कोणार्क सूर्य मंदिर रहस्यों से भरा एक ऐसा मंदिर है जिसके कई रहस्य आज भी अनसुलझे हैं।

कोणार्क सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य की तीन मूर्तियां हैं। पहली मूर्ति सूर्य देव के बाल्यावस्था की है जिसे उदित सूर्य कहा जाता है। इस मूर्ति की ऊंचाई 8 फीट है, दूसरी मूर्ति जिसे युवा अवस्था या फिर मध्याह्म सूर्य कहा जाता है इसकी ऊंचाई 9:30 फीट है और तीसरी मूर्ति जिसे प्रौढ़ावस्था या फिर अस्त सूर्य कहकर संबोधित किया जाता है जिसकी ऊंचाई 3:30 फीट है।

ऐसी मान्यता है की मुगल आक्रमणकारियों पर जीत के बाद महाराजा नरसिंह देव जी ने सफलता के प्रतीक के रूप में कोणार्क के सूर्य मंदिर को बनवाया था। 15 वी शताब्दी में यहां पर मुगल आक्रमणकारियों ने काफी लूटपाट की थी इसलिए कोणार्क सूर्य मंदिर के पुजारियों ने सूर्य देव की मूर्ति को यहां से पूरी में ले जाकर रख दिया था किंतु मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया गया।

मंदिर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया और इसके बाद इस मंदिर पर काफी दिनों तक रेत जमा होती रही और धीरे-धीरे एक ऐसा समय आया जब यह मंदिर पूरी तरह से रेत के नीचे दब के रह गया। बीसवीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन काल में इस मंदिर को फिर से लोगों के लिए दर्शन के लिए खोला गया।

तो यह थी जानकारी कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में। अगर हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो कृपया इस पोस्ट को सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और फेमनेस्ट पर शेयर करें। अगर आपके किसी भी प्रकार के सवाल है तो आप हमें कमेंट में पूछ सकते हैं। हमें आपके सवालों के जवाब देकर बेहद खुशी होगी।

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