भारत संतों की भूमि रहा है, सदियों से यहां अलग अलग संत अलग अलग जगहों पर मानवकल्याण के लिए आते रहे हैं ,चलिए आपको लेकर चलते है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिरडी गाँव में ,एक छोटा सा गाँव जहां भोलेभाले लोग रहते थे,जीविका का मुख्य साधन खेतीबाड़ी ,सबकुछ वैसा ही चल रहा था , लेकिन शिरडीवासियों को ये पता नहीं था की एक पवित्र आत्मा के कदम शिरडी की तरफ बढ़ रहे है।
तपस्वी की तरह दिखने वाला, शांत मुखमण्डल वाला, मन में हज़ारों रहस्यों को समेटे हुए, भौतिक आकर्षण से कोसों दूर और सदैव समाधि में लीन रहना कुछ ऐसा व्यक्तित्व था उसका ,धीरे धीरे शिरडी में उसके स्वभाव की चर्चा शुरू हो गयी।
Sai Baba Ki Kahani
श्यामा अब्दुल और विनायक शिरडी के ग्रामवासी हैं और बायजामा एक ऐसी महिला हैं जिनका साई बाबा पर अगाध प्रेम था।
श्यामा : अरे अब्दुल, ज़रा उस योगी को देख, कैसा अद्भुत तेज है उसके चेहरे पर ,हर वक़्त ध्यान में डूबा रहता है, ना किसी से कोई बातचीत और ना दिन दुनिया की खबरअब्दुल: हाँ श्यामा, इसके माथे पर तो अल्लाह का नूर है, ऐसा महसूस होता है, जैसे इसके आने से हमारी शिरडी जन्नत बन गयी हो,विनायक साठे :भाइयों मैं तो और एक राज़ की बात बताता हूँ ,कल मेरी तबियत खराब थी तो मैंने इस नीम के पत्ते का काढ़ा बनवाया लेकिन जब मैंने उस काढ़े को पीया तो वो तो मीठा थाश्यामा : नीम के पत्ते और वो भी मीठे ?भाइयों ये बालक निश्चित रूप से कोई दिव्य बालक है ,बायजामा : अरे तुमलोग सिर्फ बातें ही करते रहोगे , किसी ने उस बालक से पूछा की उसने कुछ खाया की नहीं ,हटो मुझे उससे बात करने दो
बायजामा : हे बालक तुम कौन हो?मैंने जब से तुम्हें देखा है ,तुम हर वक़्त ध्यान में बैठे रहते हो, अगर तुम इस उम्र में ,इतनी तपस्या करोगे तो तुम कमज़ोर हो जाओगे, देखो, मैं तुम्हारे लिए खाना लायी हूँ ,ये लो ,पहले खाना खा लो, उसके बाद ध्यान करना,श्यामा : ये योगी तो कुछ सुन ही नहीं रहा है, लगता है ध्यानमग्न है,विनायक : अरे बायजामा ,खाना रख दो, मुझे लगता है ये योगी जब ध्यान से बाहर आएगा तब खाना खा लेगा ,अब्दुल : खायेगा तो ज़रूर क्यों की बायजामा खाना बहुत स्वादिष्ट बनाती है ,बायजामा : देखो, मैं खाना तो स्वादिष्ट बनाती हूँ, लेकिन ये खाना मैं योगी के लिए लायी हूँ, तुमलोग खाने पर नज़र मत लगाना, सुनो योगी, मैं ये खाना रखकर जा रही हूँ, तुम इसे ज़रूर खा लेना, कल मैं और लेकर आउंगी।
बायजामा का उस योगी पर स्नेह बढ़ता गया ,रोज़ बायजामा उसके लिए अपने हाथों से खाना बनाकर लाती ,उसके पास रख के चली जाती ,लेकिन बालक कुछ इस तरह ध्यान में डूबा रहता ,की वो खाना कुत्ते बिल्लियां और पंछी खा जाया करते थे
श्यामा : बायजामा तुम जो ये खाना लेकर आती हो ये तुम हमें ही खिला दिया करो,बायजामा : क्यों?विनायक : क्यों की ये योगी तो खाना खाता ही नहीं है ,सारा खाना तो जानवर खा जाते है ,अब्दुल : इससे तो अच्छा है बायजामा की ये स्वादिष्ट खाना हमें ही खिला दो ,हम भी तो तुम्हारे बच्चें जैसे ही है ,(सब हामी भरते है)बायजामा: ख़बरदार जो किसीने इस खाने की तरफ आँख उठाकर देखा , हटो पीछे ,देखो बालक ,मैं रोज़ तुम्हारे लिए अपने हाथों से खाना बनाकर लाती हूँ ,और तुम हो की तुम्हें मेरी ममता की परवाह ही नहीं , देखो मैं कहे देती हूँ की आज अगर तुमने मेरा बनाया हुआ खाना नहीं खाया , तो मैं भी अन्न जल ग्रहण नहीं करुँगी ,साई: तुमसे किसने कहा बायजामा की ,मैंने तुम्हारा दिया हुआ भोजन ग्रहण नहीं करता हूँ ?ये जो कुत्ते, बिल्लियां ,पंछी तुम्हारे हाथ का खाना खाते है ,ये मुझ तक ही तो पहुँचता है ,ये सब मेरे ही स्वरुप है ,तुम्हारा कल्याण हो ,सबका मालिक एक है
श्यामा : देखो योगी तुमने खाना नहीं खाया इसीलिए बायजामा ने भी तीन दिन से खाना नहीं खाया और अब ये अचेत हो गयी हैविनायक: अब इसके प्राण तुम ही बचा सकते हो ,अब्दुल: कुछ करो योगी,वरना बायजामा जीवित नहीं बचेगी ,(साई बाबा एक निवाला लेते है और बोलते है)साईं:आँखें खोलो बायजामा ,तुम्हारे स्नेह और ममता से बनाया गया ये खाना मैंने खा लिया है, और अब्दुल सही कहता है, खाना वाकई स्वादिष्ट है
Sai Baba ki Katha
साई बाबा की कहानी में आगे हम बतायेगे की साईं बाबा किसके अवतार है और इसके साथ में हम आपको साई बाबा के जीवन से जुड़े अन्य चमत्कारों से अवगत करेंगे।