“काल भैरव अष्टकम” सनातन धर्म का एक ध्यान स्तोत्र है जिसे काल भैरव जो की भगवान शिव के अवतार है, उनकी पूजा के लिए गाया जाता है। कालभैरव को काला, नंगा, तीन आंखों वाला, साँपों से बँधा हुआ, और नरमुंडों की माला पहने हुए दिखाया गया है। इस रूप में भगवान शिव का वर्णन आदि शंकराचार्य ने ‘कालभैरव अष्टकम स्तोत्र’ में किया था। आदि शंकराचार्य कालभैरव स्तोत्र में कालभैरव की प्रशंसा की हैं, और उन्हें मृत्यु/समय के ईश्वर के रूप में और काशी नगर के ईश्वर के रूप में भी वर्णन किया है। आप इसे पढ़कर अत्यधिक लाभ प्राप्त करें, विशेषकर शोक (दुख), मोह (मोह), लोभ (लालच), दैन्य (गरीबी), कोप (क्रोध), और ताप (दुख) से मुक्ति प्राप्त करने के लिए।
Kaal Bhairav Ashtakam Lyrics in Hindi – कालभैरवाष्टकम्
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥1॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥2॥
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥3॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥4॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥5॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥6॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥7॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥8॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं
प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥9॥
इथि श्रीमास्चंकराचार्य विरचितं कालभैरवाष्टकम् सम्पूर्णम ||
काल भैरव अष्टक स्तोत्र pdf
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