Durga Puja Kya Hai |  दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है

दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे भारत के कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन बहुत से लोगो को Durga Puja Kya Hai और durga puja kyu manaya jata hai ये नहीं पता है। 

आज हम भक्ति ओसियन के इस ब्लॉग में आपको दुर्गा पूजा क्या है इसके बारे में विस्तार से बताएँगे। हम दुर्गा पूजा के महत्व, किसने शुरू किया और यह क्यों मनाया जाता है बताएँगे। इस ब्लॉग के अंत तक आपको Durga Puja के बारे सभी जानकारियाँ मिल जाएगी। 

दुर्गा पूजा क्या है? (Durga Puja Kya Hai)

दुर्गा पूजा, जिसे दुर्गोत्सव या शरदोत्सव भी कहा जाता है, एक लोकप्रिय हिंदू त्योहार है जो देश में कई जगहों पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार दस दिनों तक चलता है और लोग इसे देवी पार्वती के अवतार, देवी दुर्गा को समर्पित करते हैं। यह त्योहार हिंदू महीने अश्विन (सितंबर-अक्टूबर) में मनाया जाता है। कहा जाता है इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था।  

दुर्गा पूजा का महत्व (Durga Puja Significance)

आपने ये तो जान लिया की durga puja kya hai अब हम आपको इसके महत्व के बारे में बताएँगे। शारदीय नवरात्रि के आगमन से पंचमी तक बंगाली दुर्गा पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। 

मां की मूर्ति को सजाया जाता है और छठे दिन से शक्ति की पूजा की जाती है। बंगाल के लोग मां दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी स्वरूप में पूजते हैं। पंडालों में देवी की इस मूर्ति के साथ सरस्वती माँ, लक्ष्मी माँ, पुत्र गणेश और कार्तिकेय की भी मूर्ति होती हैं। 

कहा जाता है कि तीनों माँ अपने बच्चों के साथ मायके आती हैं, इसलिए बेटी के स्वागत में मायके वाले पाँच दिनों तक धूमधाम से ये त्योहार मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है (Durga Puja Kyu Manaya Jata Hai)

मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस को मार गिराया था। महिषासुर ने ब्रह्मा जी की कठिन साधना की थी ताकि वह अमर हो सके, और ब्रह्मा जी ने उसकी इच्छा पूरी की थी। फिर महिषासुर ने देव लोक पर अत्याचार करना शुरु कर दिया। 

उसके बाद महिषासुर ने देवताओं के साथ युद्ध किया, जिसमें वह विजयी हुआ। देवताओं ने फिर अपनी शक्तियों से मां दुर्गा की पूजा की, जिससे मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया। यह लड़ाई नौ दिन तक लगातार लड़ी गयी थी, और दसवें दिन में महिषासुर की मौत हो गई। इसीलिए दसवें दिन को दुर्गा पूजा के रूप में मनाते हैं।

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दुर्गा पूजा की शुरआत कब हुई (Who first started Durga Puja in world)

दुर्गा पूजा विश्वभर में मशहूर है, लेकिन इस उत्सव की शुरुआत कब हुई, इसका ज्ञान बहुत कम लोगों को है। अविभाजित बंगाल में दुर्गा पूजा की शुरुआत 16वीं शताब्दी के अंत में वर्ष 1576 में हुई थी। यह पूजा वर्तमान में बांग्लादेश के ताहिरपुर में हुआ करती थी। ताहिरपुर के एक राजा कंस नारायण थे, कहा जाता है कि उन्होंने ही सबसे पहले अपने गांव में देवी दुर्गा की पूजा की थी।

इसके बाद, 1610 में कोलकाता के बड़िशा (बेहला साखेर का बाजार क्षेत्र) में राय चौधरी परिवार ने पहली बार दुर्गा पूजा का आयोजन किया था। तब कोलकाता शहर नहीं था, बल्कि यह एक छोटा सा गांव था जिसे कोलिकाता कहा जाता था। थोड़े समय बाद ही इसी क्षेत्र में दुर्गा माता की पूजा आरंभ हुई, जिसे आजकल शोभा बाजार के नाम से जाना जाता है। इतिहास के मुताबिक, कोलकाता के शोभा बाजार में सबसे पहले आश्विन शुक्ल पक्ष में नवरात्रि के अवसर पर दुर्गा पूजा का आयोजन हुआ था। उसके बाद, बांकुड़ा जिले के विष्णुपुर में प्रसिद्ध राज परिवार ने भी दुर्गा पूजा की शुरुआत की। इसके बाद से ही हर साल दुर्गा पूजा के आयोजन का प्रचलन देश भर में बढ़ता गया।

दुर्गा पूजा कब मनाया जाता है (Durga Puja Kab Manaya Jata Hai)

दुर्गा पूजा हिन्दू चंद्र कैलेंडर के माह अश्विन में उज्ज्वल चंद्र पक्ष के छठे से दसवें दिन तक मनाया जाता है। इंग्लिश कैलेंडर की बात करे तो यह सितंबर या अक्टूबर महीने में मान्य जाता है। 

यह नौ दिनों का त्योहार, नवरात्रि के साथ मनाया जाता है। हालांकि, यह पाँच दिनों तक चलता है, जिसमें षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से मनाई जाती हैं।

Durga Puja 2024 Date : Durgra Puja Kya hai

वरात्रि घटस्थापना के साथ शुरू होती है, जिससे नौ शुभ दिनों की शुरुआत होती है।  दुर्गा पूजा आधिकारिक रूप से छठे दिन (षष्ठी) से शुरू होती है, जिसे 9 अक्टूबर, 2024 को मनाया जाएगा, और यह महत्वपूर्ण परंपराओं और उत्सव के साथ चलती है, जो दसवें दिन यानी दुर्गा विसर्जन के साथ 12 अक्टूबर, 2024 को समाप्त होगी।

चैती दुर्गा पूजा कब है (Chaiti Durga Puja Kab Hai)

वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि 2024 का आयोजन, इस वर्ष 08 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी और 09 अप्रैल 2024 को रात 08 बजकर 30 मिनट तक चलेगी। इसके आधार पर चैत्र नवरात्रि या चैती दुर्गा पूजा 09 अप्रैल से आरंभ होगी।

कलश पूजा कैसे करें? (Durgra Puja Kya hai)

  • नवरात्रि की पहली दिन को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। 
  • फिर एक चौकी लगाकर उस पर स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। 
  • फिर रोली और अक्षत से टीका लगाएं और उस पर माँ की मूर्ति या तस्वीर रखें। 
  • उसके बाद माँ की पूजा करें। 
  • याद रखें कि कलश को हमेशा उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। 
  • कलश के मुंह पर चारों तरफ अशोक के पत्ते लगाएं और नारियल पर चुनरी बांधकर कलावा से बांध दें। 

दुर्गा पूजा कैसे मनाया जाता है?

दुर्गा पूजा को उत्साह और भक्ति से मनाया जाता है। इसके मनाने के तरीके इस प्रकार हैं:

  • देवी दुर्गा की मूर्ति को रखने के लिए पंडालों की स्थापना की जाती है। ये पंडाल फूलों, लाइट और कलाकृतियों से सजे होते हैं।
  • मिट्टी से बनी देवी दुर्गा की मूर्ति पंडाल में स्थापित की जाती है। इसे परंपरागत रूप से सजाया जाता है।
  • भक्त देवी की पूजा करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं।
  • कला और संस्कृति के उत्सव के रूप में इसके आसपास सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
  • धुनुची नृत्य जो एक पारंपरिक नृत्य है उसे अगरबत्ती से भरे मिट्टी के बर्तन के साथ किया जाता है।
  • सिंदूर खेला जो दुर्गा पूजा के आखिरी दिन मनाया जाता है, इसमें महिलाएं एक-दूसरे के माथे पर सिंदूर लगाती हैं।
  • पूजा के अंतिम दिन, देवी की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है, जो उनके दिव्य निवास में वापसी का प्रतीक है।

FAQs

दुर्गा पूजा का महत्व क्या है?

दुर्गा पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक दर्शाता है।

दुर्गा पूजा साल में कितनी बार होती है?

साल में दो बार दुर्गा पूजा मनाई जाती है।

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