Thawe Mandir Story: पुरातन काल में, गोपालगंज के थावे क्षेत्र में घना जंगल फैला हुआ था। उस समय, रहसू भगत नामक एक किसान राजा मनन सिंह के राज्य में अपनी खेती-बाड़ी से अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे। रहसू भगत, जो कि एक किसान थे, मां दुर्गा के परम भक्त थे। वे जंगल में खेती करते और दिन-रात देवी मां की आराधना में लीन रहते थे।
थावे मंदिर के प्रमुख पुजारी सुरेश पांडेय के अनुसार, पौराणिक कथाओं में यह उल्लेख है कि यह पूरा क्षेत्र राजा मनन सिंह के अधीन था। कहा जाता है कि एक समय इस इलाके में भीषण अकाल पड़ा, जिससे लोग दाने-दाने के लिए तरसने लगे। लेकिन मां दुर्गा के परम भक्त रहसू भगत ने जंगल में धान की खेती जारी रखी और समृद्धि प्राप्त की। उन्होंने उस अकाल के दौरान भी अच्छी फसल उगाई और उसे बाजार में बेचकर जो भी पैसे मिले, उससे उनका परिवार आराम से चलता रहा।
माता के भक्त रहसु भगत और राजा मनन सिंह की कहानी
जब भीषण अकाल के दौरान इस किसान की खुशहाली की खबर राजा मनन सिंह को मिली, तो उन्होंने तुरंत किसान को अपने दरबार में बुलाया। दरबार में पहुंचते ही राजा मनन सिंह ने रहसू भगत से भीषण अकाल के बावजूद धान की अच्छी पैदावार और खेती के रहस्यों के बारे में पूछताछ की। थावे मंदिर के प्रमुख पुजारी सुरेश पांडेय ने बताया कि कैसे रहसू भगत उस समय धान की खेती करते थे। वे बाघ के गले में विषैले सांपों को रस्सी बनाकर धान की दवरी करते थे। खेती-बाड़ी से समय मिलते ही, वे देवी मां की आराधना में लीन हो जाते थे और मां की परम कृपा से खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे थे।
राजा मनन सिंह ने रहसू भगत से कहा कि वे अपनी आराधना से देवी मां को यहां बुलाएं। लेकिन रहसू भगत ने राजा को ऐसा न करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर देवी मां यहां आईं, तो उनके आते ही आंधी-तूफान शुरू हो जाएगा और धरती फट जाएगी, जिससे सब कुछ तबाह हो जाएगा। इसके बावजूद, घमंडी राजा मनन सिंह ने रहसू भगत को देवी मां की आराधना कर उन्हें बुलाने का आदेश दिया।
राजा मनन सिंह की जिद ने तबाह किया उनका राजपाठ
राजा के आदेश के बाद, रहसू भगत ने देवी मां की आराधना शुरू कर दी। भक्त रहसू की भक्ति से प्रसन्न होकर, देवी दुर्गा माता गौरी कामाख्या से चलकर पटना के पाटन, फिर छपरा के आमी होते हुए गोपालगंज के थावे में पहुंचीं। देवी मां के आगमन के साथ ही, वहां भीषण आंधी-तूफान शुरू हो गया। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जैसे ही देवी मां यहां प्रकट हुईं, आकाश में बिजली कड़कने लगी और राजा मनन सिंह और उसके पूरे राजपाट की तबाही शुरू हो गई।
रहसू भगत के सिर से देवी मां का कंगन और हाथ का हिस्सा बाहर निकल आया, जिससे रहसू भगत को मोक्ष प्राप्त हुआ। इसके बाद, देवी मां की इसी थावे जंगल में स्थापना की गई, और तभी से इस मंदिर में मां की पूजा शुरू हो गई। थावे मंदिर के पास ही, भक्त रहसू भगत का भी एक मंदिर है, जहां बाघ के गले में सांप की रस्सी बंधी हुई है।
नवरात्र के दौरान होती है थावे दुर्गा मंदिर में विशेष पूजा
वैसे तो गोपालगंज के थावे दुर्गा मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्र में यहाँ की खूबसूरती देखते ही बनती है। गोपालगंज जिला प्रशासन ने मंदिर को विशेष रूप से विकसित किया है। पर्यटन स्थल के रूप में मंदिर के पास एक गेस्ट हाउस का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, मंदिर को चारों ओर से खूबसूरत और आकर्षक ढंग से सजाया गया है। मंदिर परिसर में एक पोखरा भी है, जिसमें चार द्वार बने हुए हैं। नवरात्रि के दौरान यहां पशु बलि देने की प्रथा भी है।
थावे मंदिर से कुछ ही दुरी पर बना है भक्त रहसु भगत का भी मंदिर
थावे दुर्गा मंदिर में सालभर लोग पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं, लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। हर दिन हजारों लोग इस पवित्र स्थल के दर्शन के लिए आते हैं। कहा जाता है कि थावे में न केवल बिहार से बल्कि उत्तर प्रदेश, नेपाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बंगाल, झारखंड सहित देश के अन्य हिस्सों से भी श्रद्धालुओं का निरंतर आना-जाना लगा रहता है। थावे मंदिर के पास ही भक्त रहसू भगत का भी एक मंदिर स्थित है, जहां बाघ के गले में सांप की रस्सी बंधी हुई है।
थावे दुर्गा मंदिर में मिलने वाला पेड़किया का प्रसाद है बेहद स्वादिष्ट
पेड़किया थावे मां का प्रमुख प्रसाद है। यहां आने वाले सभी श्रद्धालु इस प्रसिद्ध मिठाई को बड़े प्रेम से खाते हैं। साथ ही साथ लोग इसे पैक कर अपने घर भी ले जाते हैं। गोपालगंज जिला प्रशासन की ओर से यहां थावे महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई टॉयलेट का निर्माण किया गया है और सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। नवरात्र के दौरान यहां एक कंट्रोल रूम की स्थापना भी की जाती है ताकि सुरक्षा में कोई कमी ना रहे।