सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। ठीक 2 सप्ताह बाद सावन का महीना शुरू हो जाएगा। क्या आप जानते हैं। कि इस बार सावन पूरे 2 महीने का रहेगा यानी इस बार भक्तों को सावन में 8 सोमवार मिलने वाले हैं। भगवान शिव की उपासना के लिए।
ऐसा क्यों हो रहा है क्यों इस बार का सावन अन्य सावन मास के मुकाबले अधिक और बेहद ही खास है। आइए जानते हैं।सावन का महीना क्या होता हैसावन मास में भगवान शिव की पूजा आराधना का एक विशेष विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार यह महीना वर्ष का पांचवा मास होता है। और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सावन का महीना जुलाई-अगस्त में आता है। इस दौरान सावन सोमवार व्रत का सर्वाधिक महत्व बताया जाता है।
दरअसल श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को सबसे प्रिय है। इस माह में सोमवार का व्रत और सावन स्नान की परंपरा होती है। श्रावण मास में बेलपत्र से भोलेनाथ की पूजा करना और उन्हें जल चढ़ाना अति फलदाई माना गया है। वही शिव पुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति इस माह में सोमवार का व्रत रखता है और भगवान शिव के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करता है। तो भोलेनाथ उसे निराश नहीं करते और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
सावन महीने में लाखों श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए हरिद्वार ,काशी, उज्जैन नासिक समेत भारत के कई धार्मिक स्थल जाते हैं।क्यों खास है सावन का महीनाबहुत कम लोग जानते हैं कि सावन के महीने का प्रकृति से भी बहुत गहरा संबंध है। क्योंकि इस माह में वर्षा ऋतु होने से संपूर्ण धरती बारिश से हरी भरी हो जाती है। ग्रीष्म ऋतु के बाद इस माह में बारिश होने से मानव समुदाय को बड़ी राहत मिलती है। साथ ही जीव जंतुओं को काफी आराम मिलता है। इसके अलावा श्रावण मास में कई पर्व भी मनाए जाते हैं।
भारत के पश्चिम तटीय राज्यों जैसे महाराष्ट्र ,गोवा और गुजरात में श्रावण मास के अंतिम दिन नारियल पूर्णिमा मनाई जाती है। इसके अलावा श्रावण मास में शिव भक्तों के द्वारा कावड़ यात्रा का आयोजन किया जाता है। जहां लाखों संख्या में भक्त देवभूमि उत्तराखंड में स्थित शिव नगरी हरिद्वार और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। साथ ही अपने पास के स्थान में भगवान शिव के मंदिर जाकर उन्हें जल अर्पित कर और बेलपत्र चढ़ाते हैं। पूरे सावन मास में श्रद्धालुओं का मंदिरों में तांता लगा रहता है।
सावन मास की पौराणिक मान्यता क्या हैपौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था। तब उस स्थान से 14 रत्न निकले थे। उन 14 रत्नों में से एक हलाहल विष भी था। जिससे सृष्टि नष्ट होने का भय था। तब सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उस विष को पी लिया और उसे अपने गले से नीचे नहीं उतरने दिया। विष के प्रभाव से महादेव का कंठ नीला पड़ गया और इसी कारण उनका नाम नीलकंठ भी पड़ा।
कहते हैं कि लंकेश पति रावण शिव का सच्चा भक्त था। वह कांवर में गंगा जल लेकर आया और उसी जल से उसने शिवलिंग का जलाभिषेक भी किया और तब जाकर भगवान शिव को इस विष से मुक्ति मिली थी।महीने में कितने प्रकार के व्रत रख सकते हैंसावन महीने में तीन प्रकार के व्रत रखे जाते हैं। सावन सोमवार व्रत: श्रावण मास में सोमवार के दिन जो व्रत रखा जाता है। उसे सावन सोमवार व्रत कहा जाता है। सोमवार का दिन भी भगवान शिव को समर्पित है।इस दिन व्रत रखने से भक्त के कई सारे कष्ट दूर हो जाते है।
सोलह सोमवार व्रत : सावन को पवित्र माह इसलिए माना जाता है कि इसमें भक्तों के बिगड़े काम बन जाते हैं। इसलिए ज्यादातर लोग सोलह सोमवार का व्रत रखते हैं। इसमें पुरुष और स्त्री दोनों व्रत रख सकते है। इसलिए सोलह सोमवार के व्रत प्रारंभ करने के लिए यह बेहद ही शुभ समय माना जाता है। स्त्री और पुरुष को मन चाहा जीवन साथी मिलता है।
प्रदोष व्रत : सावन में भगवान शिव एवं मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए प्रदोष व्रत प्रदोष काल तक रखा जाता है।खास है इस बार का सावन मासहिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। सावन मास की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से होगी और 31 अगस्त 2023 तक रहे गई यानी इस बार भक्तों को भगवान शिव की उपासना के लिए कुल 59 दिन मिलने वाले हैं कहा जाता है कि यह बहुत शुभ संयोग 19 साल बाद बना है।
सावन माह इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहने वाला है । यानी इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। खास बात यह है कि इस बार सावन में भगवान शिव के साथ-साथ भक्तों को भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी।आपको बता दें कि वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्र मास के आधार पर की जाती है। चंद्रमा 354 दिनों का होता है और 4 मार्च 365 दिन का ऐसे में 11 दिन का अंतर आ जाता है। और 3 साल के अंदर यह अंतर 33 दिन का हो जाता है। जिसे अधिक मास कहा जाता है इस बार सावन एक की बजाय 2 महीने का होने वाला है।