Mundeshwari Devi Temple भारत का सबसे प्राचीन मंदिर The Oldest Temple In India

The Oldest Temple In India- आइए आपको लेकर चलते हैं बिहार के कैमूर जिले में स्थित भारत के प्रसिद्ध मंदिर माता मुंडेश्वरी देवी के 1 अनोखे और प्राचीन मंदिर में। भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक मां मुंडेश्वरी देवी का यह मंदिर Mundeshwari Devi Temple बिहार राज्य के कैमूर जिले के भगवानपुर अंचल में कैमूर की पहाड़ियों पर 600 फीट ऊंचाई पर स्थित है।

आज भी इस माता के मंदिर में कई चमत्कार होते हैं और यहां की प्राचीन शिवलिंग की भी बड़ी महिमा है। शास्त्रों के अनुसार इस मंदिर का संबंध मार्कंडेय पुराण से जुड़ा हुआ है साथ ही साथ इस मंदिर में चंड मुंड राक्षसों के वध से जुड़ी कुछ कहानियां भी प्रचलित है।

चंड मुंड शुंभ निशुंभ के सेनापति थे जिन का वध मां ने इसी जगह पर किया था मां के इस मंदिर में बकरे की बलि दी जाती है लेकिन आपको यह जानकर घोर आश्चर्य होगा कि बकरे की मौत नहीं होती इस मंदिर में सभी धर्मों के लोग बलि चढ़ाने आते हैं और उनकी आंखों के सामने चमत्कार होते हैं ऐसी मान्यता है कि मां मुंडेश्वरी के मंदिर में जो भी मांगो पूरा होता है।

इस माता के मंदिर में कुछ ऐसे ही घटनाएं होती हैं जिस पर आप अपनी आंखों से विश्वास नहीं कर सकते। यहां पर सात्विक बलि चढ़ाई जाती है जिसमें बकरे को माता के दरबार में माता की मूर्ति के आगे खड़ा कर दिया जाता है। इसके पश्चात मंदिर का पुजारी .मंत्रोच्चारण कर के कुछ चावल के दाने उस बकरे के ऊपर फेकता है जिससे वह बकरा बेहोश हो जाता है।

इसके बाद उस बकरे को बाहर छोड़ दिया जाता है इस प्रकार माता के दरबार में बकरे की बलि भी हो जाती है और बकरे की जान भी नहीं जाती। यह भारत का एक अनूठा मंदिर है जहां इस प्रकार बिना किसी जानवर की जान लिए उसकी बलि चढ़ाई जाती है। है ना कमाल की बात?

Mundeshwari Temple Story

अब आपको बताते हैं कि इस मंदिर की कथा क्या है। जब माता ने चंड का वध किया था तब मुंड युद्ध करते हुए इस पहाड़ी पर आया और यही छिप गया था। उसका भी वध माँ ने इसी जगह पर किया इसी वजह से यह मंदिर मुंडेश्वरी देवी के नाम से विख्यात है। यहां पर भिन्न भिन्न प्रकार के पत्थर और स्तंभ पाए जाते हैं जिन पर विभिन्न प्रकार के श्रीयंत्र और कई प्रकार के सिद्ध यंत्र मंत्र बनाए गए हैं।

माता मुंडेश्वरी देवी के मंदिर में एक ग्रह गर्भ ग्रह भी है जिसके अंदर एक पंचमुखी शिवलिंग है। यह शिवलिंग अपना रंग बदलता है, इस कारण इसका रंग सुबह में अलग, दोपहर में अलग और शाम को अलग हो जाता है।

अगर आप एकटक इस शिवलिंग को देखते भी रहे तो आप को पता नहीं चलेगा कि इस कारण कब बदल गया। यहां पर प्रत्येक सोमवार को भारी संख्या में भक्तों की भीड़ जमा होती है और शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है। मंदिर के पुजारियों के द्वारा भगवान शिव के इस पंचमुखी शिवलिंग का विधिवत श्रृंगार करके रुद्राभिषेक भी किया जाता है।

चलिए अब बात करते हैं कि इस मंदिर में किस प्रकार पहुंचा जाए तो मुंडेश्वरी देवी मंदिर के पास पहुंचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। भभुआ रोड यह स्टेशन मुगलसराय और गया रेलवे लाइन पर है मंदिर स्टेशन से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। आप यहां सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं।

Mundeshwari Devi Temple मुंडेश्वरी मंदिर का इतिहास

इस मंदिर की स्थापना 635 से 636 ई. के बीच हुई थी। यहां पिछले 1900 वर्षों से लगातार पूजा पाठ होता आया है। मुंडेश्वरी मंदिर का उल्लेख अलेक्ज़ैंडर कन्निघम ने भी अपनी किताब में किया जिन्हे भारत के पुरातत्त्व अन्वेषण का पिता कहा जाता है।

Mundeshwari Devi Mandir

कुछ वर्षों पहले तक मंदिर तक पहुंचना बड़ा कठिन था लेकिन अब यहां की पहाड़ियों को काटकर सीढ़ियां और सड़के बना दी गई हैं और इस कारण से आप कार जीप और बाइक की सवारी करके पहाड़ के ऊपर मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी, अगर हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया साइट फेसबुक, इंस्टाग्राम और फेमनेस्ट शेयर करें आर्टिकल को अंत तक पढ़ा इसके लिए आपका हृदय की गहराइयों से कोटि-कोटि धन्यवाद जय हिंद।

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