Ganesh Ji Ki Kahani in Hindi: गणेश जी को रिद्धि-सिद्धि के दाता और विघ्नों को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। वे अपने भक्तों की पूजा से प्रसन्न होकर उनकी हर समस्या को हल कर देते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। उनकी दयालुता और उदारता के कई किस्से मशहूर हैं, जिनमें से एक प्रसिद्ध लोककथा है जिसमें एक बुढ़िया के साथ खीर खाने की घटना का वर्णन है। आज पंडित इंद्रमणि घनस्याल आपको वही कहानी सुनाने जा रहे हैं।
गणेश जी और बुढ़िया की खीर की कहानी Ganesh Ji Ki Kahani in Hindi
एक बार भगवान गणेश बाल रूप में कुछ चावल और दूध लेकर धरती पर आए। वे सभी से खीर बनाने के लिए कहते जा रहे थे, लेकिन किसी ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। तभी एक गरीब बुढ़िया ने उनकी बात मान ली और खीर बनाने के लिए अपने चूल्हे पर बर्तन चढ़ा दिया। गणेश जी ने उसे घर का सबसे बड़ा बर्तन चूल्हे पर रखने के लिए कहा। बुढ़िया ने उनकी बाल लीला समझकर घर का बड़ा भगोना चूल्हे पर रख दिया। कुछ समय बाद एक अद्भुत चमत्कार हुआ।
गणेश जी द्वारा दिए गए चावल और दूध बढ़कर पूरे भगोने को भरने लगे। इसके बाद गणेश जी वहां से यह कहकर चले गए कि वे स्नान के बाद खीर खाएंगे। जब बुढ़िया के पोते-पोती वहां आए और भूख लगी, तो उसने उन्हें खीर खिला दी। यह देखकर पड़ोसन को भी बुढ़िया ने खीर का कटोरा दे दिया। घर की बहू ने भी चुपके से एक कटोरा खीर खाई और एक कटोरा छिपा दिया।
बुढ़िया ने फिर खीर खाने के लिए गणेश जी को बुलाते हुए कहा, “आजा रे गणेस्या खीर खा ले।” तभी गणेश जी वहां आए और बोले, “मैं तो पहले ही खीर खा चुका हूँ।” जब बुढ़िया ने पूछा, “कब खाई?” तो गणेश जी ने बताया कि जब तेरे पोते-पोती, पड़ोसन और बहू ने खाई, तब मेरा पेट भर गया।
बुढ़िया ने बची हुई खीर के बारे में पूछा, तो गणेश जी ने उसे नगर में बांटने का आदेश दिया। जब बुढ़िया ने खीर बांटी, तो राजा को इसकी खबर मिली और उसने बुढ़िया को दरबार में बुला लिया। बुढ़िया की पूरी कहानी सुनकर राजा ने खीर का भगोना मंगवाया, लेकिन जैसे ही वह महल में पहुंचा, उसमें कीड़े-मकोड़े और जहरीले जानवर गिर गए। यह देखकर राजा ने बर्तन वापस बुढ़िया को लौटा दिया, और उसके घर ले जाते ही बर्तन वापस पहले जैसा हो गया। फिर बुढ़िया ने गणेश जी से बची हुई खीर के बारे में पूछा, तो गणेश जी ने उसे झोपड़ी के कोने में दबा देने का आदेश दिया।
रात में बुढ़िया सो गई और गणेश जी उसकी झोपड़ी को स्पर्श कर अदृश्य हो गए। अगले दिन जब बुढ़िया जागी, तो उसने देखा कि उसकी झोपड़ी महल में बदल चुकी है और खीर के बर्तन सोने और जवाहरातों से भरे हुए हैं। गणेश जी की कृपा से बुढ़िया बहुत खुश हो गई।
कथा के बाद की प्रार्थना
हे गणेश जी महाराज! जैसे आपने बुढ़िया को आशीर्वाद दिया, वैसे ही सबको आशीर्वाद दें। इस कथा को कहने वाले, सुनने वाले, और इसमें भाग लेने वाले सभी का भंडार भर दें।