भारत में हर महीने कोई ना कोई पर्व मनाया जाता है और इसलिए भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। भारतीय त्योहार खुशहाली आनंद और उत्साह के प्रतीक होते हैं। जब भी कोई भारतीय त्योहार मनाया जाता है तो उसमें मिठाइयों, पूजा-अर्चना, भोजन, खुशियों आदि का आयोजन होता है।
हिंदुओं का प्रमुख त्योहार “𝐝𝐢𝐰𝐚𝐥𝐢” सबसे ज्यादा प्रमुख है और जब दिवाली आती है तो सारे जगह उत्साह का माहौल बन जाता है। इस महापर्व के आने पर हर घर में प्रकाश और धर्म के ज्योति के कारण खुशहाली फैल जाती है। दिवाली के दिन संगीत, “𝐦𝐚𝐭𝐚 𝐥𝐚𝐱𝐦𝐢 𝐚𝐚𝐫𝐭𝐢”, दीयों की रोशनी, पटाखों की आवाज और मिठाइयों की मिठास एक ऐसा माहौल बनाते हैं जो हमेशा याद रहता है।
आज इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे “Diwali Kyu Manaya Jata Hai“. यह त्योहार सुख, शांति, आनंद, उत्साह और समृद्धि का प्रतीक होता है। भारत में यह तैयार अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। तो आइए दिवाली मनाने के पीछे की पौराणिक कथाओं को जानते हैं और इस साल “𝐝𝐢𝐰𝐚𝐥𝐢 𝐤𝐚𝐛 𝐡𝐚𝐢” इसके बारे में भी बताएंगे।
- दिवाली का त्योहार क्या है :- दिवाली को दीपावली और दीपों का त्योहार भी कहा जाता है। यह एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की “𝐚𝐦𝐚𝐯𝐚𝐬𝐲𝐚” को धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली को विजयदशमी यानी दशहरा के दिन से शुरू किया जाता है और अगले 5 दिनों तक बड़े ही उत्साह के साथ चलता रहता है।
दीपावली शब्द का अर्थ दीपों की पंक्ति होता है। इस त्यौहार से पहले ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई और उनकी सजावट करना शुरू कर देते हैं। बच्चे बूढ़े सभी बड़े उत्साह के साथ इस पर्व का इंतजार करते हैं। दिवाली का त्यौहार हिंदू संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भगवान श्री राम के 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में यह त्यौहार पहली बार मनाया गया था।इसी दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना भी की जाती है और सुख, शांति और समृद्धि की कामना की जाती है और लोग घर जाकर “𝐝𝐢𝐰𝐚𝐥𝐢 𝐤𝐢 𝐬𝐡𝐮𝐛𝐡𝐤𝐚𝐦𝐧𝐚𝐲𝐞” देते है।
- दिवाली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है :- दिवाली को भारत में अनेक कारणों से मनाया जाता है। नीचे कुछ पौराणिक “𝐝𝐢𝐰𝐚𝐥𝐢 𝐤𝐢 𝐤𝐚𝐭𝐡𝐚” की जानकारी दी गई हैं जो दिवाली मनाने के पीछे का कारण है।
- सबसे प्रमुख कारण यह है कि जब भगवान “𝐬𝐡𝐫𝐢𝐫𝐚𝐦” को 14 वर्ष का वनवास दिया गया था और वह वनवास काट के माता सीता और लक्ष्मण के साथ वापस अयोध्या लौटे तो लोगों ने उनके स्वागत के लिए दीए जलाए थे और खुशियां मनाई थी। उसी दिन के बाद दिवाली के त्योहार को मनाया जाता है। इसी कारण इस त्यौहार को रोशनी का त्यौहार और दीपों का त्योहार कहा जाता है।
- हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस त्यौहार को माता लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, पौराणिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन किया गया था तब इसी दिन “𝐦𝐚𝐭𝐚 𝐥𝐚𝐱𝐦𝐢” प्रकट हुई थी। तब से लेकर आज तक दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और धनधान्य की कामना की जाती है। मां लक्ष्मी की पूजा से घर में सुख शांति बनी रहती है।
- दिवाली मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा यह भी है कि जब द्वापर युग में भगवान “𝐤𝐫𝐢𝐬𝐡𝐧𝐚” ने गोकुल को कंस द्वारा भेजे गए राक्षस नरकासुर से बचाने के लिए उस राक्षस का वध किया था। नरकासुर द्वारा बंदी बनाई गई 16000 कन्याओं को मुक्त कराया था। तब वहां के लोगों ने इस दिन को मनाने के लिए पूरे गोकुल को दीया से सजा दिया था। इसी दिन से लोग दिवाली मनाने लगे। इसे “𝐧𝐚𝐫𝐚𝐤 𝐜𝐡𝐚𝐭𝐮𝐫𝐝𝐚𝐬𝐡𝐢” भी कहा गया।
- एक कथा यह भी है कि पांडव राजा के कुल 5 पुत्र थे। पांडवों ने पासे के खेल मे हार गए थे तो उन सब को 12 साल का वनवास दिया गया था। सभी पांडव भाइयों को अपने राज्य के लोगों से काफी लगाव और प्रेम था। जब वह अपना वनवास काट कर वापस आए तो वहां के लोगों ने दीए जलाकर उनके आने की खुशी को मनाया था। हिंदू महाकाव्य “𝐦𝐚𝐡𝐚𝐛𝐡𝐚𝐫𝐚𝐭” के अनुसार इस दिन से दिवाली मनाई जाती है।
- दिवाली का त्यौहार कब और कैसे मनाया जाता है :- भारत में हर वर्ष दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। यह त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवंबर महीने में आता है। इस त्योहार से पहले नवरात्रा, दशहरा, धनतेरस, नरक चतुर्दशी और भाई दूज का भी त्यौहार साथ में मनाया जाता है।
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दिवाली आने से कुछ दिन पहले ही लोग बहुत उत्साहित हो जाते हैं। लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और सजावट करते हैं। अपने घरों के ऊपर रंग बिरंगी लाइट लगाते हैं दिए जलाते हैं। दिवाली के दिन से पहले तो “𝐝𝐡𝐚𝐧𝐭𝐞𝐫𝐚𝐬” का त्यौहार मनाया जाता है इस दिन लोग अपने घर नई-नई चीजें खरीद के लाते हैं क्योंकि यह दिन शुभ माना जाता है।
दिवाली के दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं। बच्चे अपने बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं। शाम को माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान गणेश और माता सरस्वती की भी पूजा की जाती है। बच्चे “𝐩𝐚𝐭𝐚𝐤𝐡𝐞” फोड़ने के लिए उत्सुक होते हैं। शाम को पूरे घर को दीए जलाकर सजाया जाता है। घर के सभी सदस्य साथ में बैठकर भोजन करते हैं और मिठाइयां खाते हैं।
हर व्यक्ति अपने पड़ोस और रिश्तेदारों के घर जाते हैं। वहां जाकर मिठाइयों और उपहार देकर उनको दिवाली की शुभकामनाएं दी जाती है। दिवाली के दूसरे दिन महिलाओं द्वारा “𝐠𝐨𝐯𝐚𝐫𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐩𝐨𝐨𝐣𝐚” की जाती है। उसके बाद भाई दूज का त्यौहार आता है। फिर “𝐛𝐡𝐚𝐢𝐝𝐮𝐣” के दिन बहन अपने भाई के राखी बांधती है और मुंह मीठा कराती हैं। इस प्रकार दिवाली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
- इस साल दिवाली और धनतेरस कब है :- अगर आप भी यह सोच रहे हैं कि “𝟐𝟎𝟐𝟑 𝐦𝐞𝐢𝐧 𝐝𝐢𝐰𝐚𝐥𝐢 𝐤𝐚𝐛 𝐡𝐚𝐢” तो हम आपको बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 12 नवंबर 2023 को दिवाली मनाई जाएगी।
अब इतना जान गए तो यह भी जान ले कि “𝐝𝐡𝐚𝐧𝐭𝐞𝐫𝐚𝐬 𝐤𝐚𝐛 𝐡𝐚𝐢” ? हिन्दू पंचांग के अनुसार इसकी भी जानकारी दी गई है। इस साल 10 नवंबर 2023 को धनतेरस मनाई जाएगी। - दिवाली का महत्व क्या है :- हिंदू धर्म में दिवाली के त्यौहार का काफी महत्व है। दिवाली का त्योहार प्यार, सम्मान और एकता का प्रतीक है। यह त्योहार भारतीय समाज के लिए आदर्श और महत्वपूर्ण पर्व है जो हमें मिलकर जीने की सीख देता है। दिवाली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार है।
“𝐝𝐢𝐰𝐚𝐥𝐢 𝐫𝐚𝐧𝐠𝐨𝐥𝐢” बनाकर माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है ताकि उनके जीवन में धन और समृद्धि की कमी ना हो। जिस तरह दिए अंधकार को मिटा देते हैं यह त्यौहार भी हमारे जीवन के बुराई और अंधकार को मिटाने के बारे में बताता है।
दिवाली का सबसे बड़ा महत्व है लोगों के रिश्ते और प्रेम को अधिक मजबूत करना। आज के समाज में शत्रुता, पाप और बुराई बढ़ गई है लेकिन दिवाली का त्यौहार हमें सभी बुरी चीजों को त्याग कर अच्छे तरीके से जीवन जीने की सीख देता है।
अपने परिवार के साथ खुशी से रहना, उनके साथ समय बिताना आदि को यह त्योहार बढ़ावा देता है।
निष्कर्ष :-
इस ब्लॉग में “𝐝𝐢𝐰𝐚𝐥𝐢 𝐤𝐲𝐮 𝐦𝐚𝐧𝐚𝐲𝐚 𝐣𝐚𝐭𝐚 𝐡𝐚𝐢 𝐢𝐧 𝐡𝐢𝐧𝐝𝐢” में बताया है। दिवाली के दिन दीए की रोशनी से घर सजाते हैं और अपने परिवार के लोगों के साथ प्यार और आदर के साथ मनाते हैं।
यह प्यार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और हमें बुराई तथा अंधकार से मुक्ति की ओर ले जाता है। दिवाली एक धार्मिक सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व है। यह हिंदुओ के प्रमुख और मुख्य त्योहारों में से एक है।
मैं आशा करता हूं कि आपको यह ब्लॉग पढ़ कर काफी जानकारी मिली होगी। आप हमारे आर्टिकल की मदद से “𝐝𝐢𝐰𝐚𝐥𝐢 𝐩𝐚𝐫 𝐧𝐢𝐛𝐚𝐧𝐝𝐡 𝟑𝟎𝟎 𝐬𝐚𝐛𝐝𝐨 𝐦𝐞𝐢𝐧” लिख सकते है। इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिएगा। ऐसे ही धार्मिक और आध्यात्मिक पोस्ट के लिए हम से जुड़े रहे। आप हमारे यूट्यूब चैनल Bhakti Ocean को भी सब्सक्राइब कर सकते है।