भारत को प्राचीन काल से ही त्योहारों और विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां पर हर महीने कोई न कोई त्योहार या उत्सव मनाया ही जाता है, जो समाज को खुशियां मनाने का मौका देता है। हर भारतीय त्योहार एक अनूठे रंग, उत्साह और प्यार से मनाए जाते है। हर त्योहार एक विशेष महत्व रखता है और यही “𝐁𝐡𝐚𝐫𝐭𝐢𝐲𝐚 𝐬𝐚𝐧𝐬𝐤𝐫𝐢𝐭𝐢 𝐤𝐢 𝐯𝐢𝐬𝐡𝐞𝐬𝐡𝐭𝐚𝐲𝐞” है।
इसी तरह “𝐫𝐚𝐤𝐬𝐡𝐚𝐛𝐚𝐧𝐝𝐡𝐚𝐧” एक ऐसा ही त्योहार है, जिसे भाई – बहन के प्यार और सम्मान का त्योहार माना जाता है। रक्षाबंधन के दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है और भाई भी अपनी बहन को तोहफे देता है और उसकी रक्षा करने का वचन भी देता है। अब हम जानेंगे की “𝐑𝐚𝐤𝐬𝐡𝐚𝐛𝐚𝐧𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐤𝐲𝐮 𝐌𝐚𝐧𝐚𝐭𝐞 𝐡𝐚𝐢?”
रक्षाबंधन का त्योहार क्या है :-
“𝐁𝐡𝐚𝐫𝐭𝐢𝐲𝐚 𝐬𝐚𝐧𝐬𝐤𝐫𝐢𝐭𝐢” के अनुसार यह त्योहार भाई – बहन के प्रेम का प्रतीक है। यह हिंदुओं के प्रमुख त्योहार है जो भारत में हर जगह मनाया जाता है। बहन भाई के हाथ पर राखी बांधती है और राखी को भाई – बहन के प्रेम की प्रतिष्ठा का प्रतीक होती है। यह राखी भाई को सुरक्षा के वचन की याद दिलाती है। इस दिन पूरा परिवार में आनंद और उत्साह का माहौल रहता है तथा एक-दूसरे के बीच प्यार और आदर की भावना को बढ़ाता है। यह सबसे प्रमुख “𝐁𝐡𝐚𝐫𝐭𝐢𝐲𝐚 𝐓𝐲𝐨𝐡𝐚𝐫” है।
रक्षाबंधन का त्योहार कब और कैसे मनाते है :-
अब आप यह जाने की “𝐑𝐚𝐤𝐬𝐡𝐚𝐛𝐚𝐧𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐤𝐚 𝐓𝐲𝐨𝐡𝐚𝐫 𝐤𝐚𝐛 𝐨𝐫 𝐤𝐚𝐢𝐬𝐞 𝐦𝐚𝐧𝐚𝐭𝐞 𝐡𝐚𝐢”? भारत में रक्षाबंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को धूमधाम से मनाया जाता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे पड़ोसी देश नेपाल में भी राखी का त्योहार मनाया जाता है।
इस दिन बहन अपने भाई के कलाई पर राखी यानी रक्षासूत्र बांधती है, भाई अपनी बहन को कई उपहार देता है और सभी साथ में मिठाइयां खाते है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एकजुट होते है और ख़ुशी का माहौल होता है। परिवार वाले भगवान की पूजा करते है और भगवान से सुख – शांति और समृद्धि की कामना करते है। भाई – बहन अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेते है। इस त्योहार के दिन परिवार के सभी लोग साथ में खाना खाते है और खुशियां मनाते है।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है :-
रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं है। पुराणों में कई रक्षाबंधन की कहानियां है। ऐसी कई “𝐑𝐚𝐤𝐬𝐡𝐚𝐛𝐚𝐧𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐤𝐞 𝐛𝐚𝐚𝐫𝐞 𝐦𝐞 𝐩𝐮𝐫𝐚𝐧𝐢 𝐤𝐚𝐭𝐡𝐚𝐲𝐞𝐧” नीचे दी गई है :
पहली कथा : हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक बार राजा बलि अश्वमेघ यज्ञ करवाया था, उस समय भगवान श्री विष्णु ने एक बौने का रूप का धारण किया और वह राजा बलि के पास गए। तब “𝐁𝐡𝐚𝐠𝐰𝐚𝐧 𝐕𝐢𝐬𝐡𝐧𝐮” ने कहा कि मुझे 3 पग भूमि दान में दो। यह सुनकर राजा बलि इसके लिए तैयार हो गए, तब भगवान ने विशाल रूप धारण कर लिया यानी वो वामन रूप में आ गए। तब श्री विष्णु ने अपने दो पैरो से आकाश और धरती को नाप दिया। अब कोई जगह नहीं बची थी। तब राजा बलि ने तीसरा पग उनके सिर पर रखने को कहा और राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया।
भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान मांगने को कहा तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से कहा कि आप भी मेरे साथ पाताल लोक में रहने चले मैं जब भी देखूं तो आपको ही भगवान के रूप में देखू। के सब देखकर माता “𝐌𝐚𝐭𝐚 𝐋𝐚𝐱𝐦𝐢” बहुत तेज चिंतित हो गई थी, तब नारद जी माता लक्ष्मी जी के पास आए और बोले इसका सिर्फ एक ही निवारण हो सकता है, आप राजा बलि को अपना भाई बना लीजिए।
तब माता लक्ष्मी राजा बलि के पास अपना रूप बदल कर गए राजा बलि को अपना भाई बना लिया। राजा बलि माता लक्ष्मी को मांगने को कहा तब माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को मांग लिया। तब से यह माना जाता है कि सबसे पहले रक्षाबंधन का त्योहार माता लक्ष्मी ने ही मनाया और इसकी शुरुआत की थी।
दूसरी कथा : एक पौराणिक कथा के अनुसार अपनी बुआ के बेटे जिसका शिशुपाल के 100 अपराध करने के बाद जब भी “𝐁𝐡𝐚𝐠𝐰𝐚𝐧 𝐒𝐡𝐫𝐢 𝐊𝐫𝐢𝐬𝐡𝐧𝐚” उसका वध करने के लिए जाते है तो वहां पर श्री कृष्ण की तर्जनी अंगुली कट जाती है और रक्त बहने लगता है। तब वहां पर खड़ी द्रौपदी ने अपने पल्लू का कपड़ा फाड़ा और भगवान श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया, तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया था।
इसके बाद जब राजा धृतराष्ट्र ने अपने दरबार में द्रौपदी का चीरहरण किया तो भगवान श्री कृष्ण ने अपने दिए गए वचन के अनुसार द्रौपदी की रक्षा की। तब से यह मान्यता है और रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।
तीसरी कथा : तीसरी कथा यह है कि एक बार चित्तौड़ पर गुजरात प्रदेश के सुल्तान बहादुर शाह के आक्रमण कर दिया था, चित्तौड़ की “𝐌𝐚𝐡𝐚𝐫𝐚𝐧𝐢 𝐊𝐚𝐫𝐧𝐚𝐯𝐚𝐭𝐢” ने अपने राज्य की रक्षा के लिए सम्राट हुमायूं को एक पत्र भेजा और उसमें राखी भी भेजी और अपनी और अपने राज्य की रक्षा करने का अनुरोध करने का संदेश लिखा।
तब सम्राट हुमायूं ने महारानी कर्णावती की राखी को स्वीकार किया और रक्षा के लिए “𝐂𝐡𝐢𝐭𝐭𝐨𝐫” के लिए रवाना हो गए। लेकिन सम्राट के वहां पहुंचने से पहले ही महारानी कर्णावती ने आत्महत्या कर ली थी। लेकिन इसके बाद लोगों में राखी के त्योहार को मनाने के मान्यता शुरू हुई थी।
चौथी कथा : एक अन्य कथा यह है कि जब उस समय “𝐌𝐚𝐡𝐚𝐛𝐡𝐚𝐫𝐚𝐭” का युद्ध हो रहा था तो इस दौरान युधिष्ठिर काफी परेशान और चिंता में थे। तब युधिष्ठिर ने “𝐒𝐡𝐫𝐢 𝐊𝐫𝐢𝐬𝐡𝐧𝐚” से पूछा कि मै इस मुसीबत से कैसे निकल सकता हूं? तब भगवान श्री कृष्ण से उनको यह कहा कि तुम और पूरी सेना “𝐑𝐚𝐤𝐡𝐢 𝐤𝐚 𝐓𝐲𝐨𝐡𝐚𝐫” मनाए तो सारा दुख और विपदा दूर हो जाएंगी।
पांचवी कथा : पांचवी कथा यह है कि “𝐏𝐫𝐚𝐜𝐡𝐢𝐧𝐊𝐚𝐥” में एक बार जब राक्षसों के राजा बलि ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया था, यह सब हिंसा को देखकर इन्द्र देव की पत्नी जिसका नाम शची था वो काफी चिंतित हो गई थी। तब शची ने भगवान विष्णु से मदद करने को कहा। इसके बाद भगवान विष्णु ने एक धागा यानी रक्षासूत्र दिया दिया और कहा कि यह धागा अपने पति इन्द्र देव के कलाई पर बांध देना जिससे वह इस युद्ध में जीत जाएंगे।
भगवान विष्णु के कहे अनुसार ही शची ने वह धागा बांध दिया और इन्द्र देव ने राजा बलि को युद्ध में हरा दिया था। तभी से यह मानने लगे की बहन अपने भाई के तथा पत्नियां अपने पति के रक्षासूत्र बांधती है और उनकी लंबी आयु, सुख, समृद्धि और विजय की कामना करती है। तब से “𝐑𝐚𝐤𝐬𝐡𝐚𝐛𝐚𝐧𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐤𝐚 𝐓𝐲𝐨𝐡𝐚𝐫” मनाते है।
निष्कर्ष:-
आपने इस ब्लॉग में जाना की “𝐑𝐚𝐤𝐬𝐡𝐚𝐛𝐚𝐧𝐝𝐡𝐚𝐧 𝐤𝐲𝐮 𝐌𝐚𝐧𝐚𝐭𝐞 𝐡𝐚𝐢?” यह त्योहार प्यार और विश्वास का प्रतीक है। रक्षाबंधन का त्योहार एक दूसरे के दिलों को जोड़ने का काम करता है। अगर आपको इस ब्लॉग में दी गई जानकारी पसंद आयी है तो इसे अपने मित्रों, परिवार वालो को भी शेयर करे। आप हमारे YouTube Channel “Bhakti Ocean” के साथ जुड़ सकते है और ऐसे ही अच्छे ब्लॉग के लिए हमारे साथ जुड़े रहे।